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उत्तरतन्त्रशास्त्रम

425
वज्रयान का यह अत्यंत प्रसिद्ध उत्तरतन्त्रशास्त्रम ग्रन्थ है. यह ग्रन्थ प्रथमवार समग्र रूप में प्रकाशित हुआ है. इससे पहले इसके कुछ पटल ही रोमन लिपि में प्रकाशित हुए थे. प्रस्तुत संस्करण हिंदी अनुवाद के साथ होने से भी हिंदी भाषी पाठकों के लिए तथा हिंदी समझने वाले विद्यार्थी एवं तंत्र साधकों के लिए नितांत उपयोगी होगा.

कालचक्रतन्त्रम

375
श्री कालचक्रतंत्र का उपदेश यशस्वी राजा सुचन्द्र के प्रश्नों के बाद भगवन तथागत शाक्यमुनि ने किया है. इस ग्रन्थ का

महामायातंत्रम

325
गुह्यसमाजतंत्र अति प्राचीनतम ग्रन्थ है. इसमें वज्रयानानुसारि -तांत्रिक-अनुष्ठानों की विधियां निबद्ध हैं. गुह्यसमाज शब्द का रहस्यपूर्ण अर्थ इस ग्रन्थ के

श्रीचण्डमहारोषणतन्त्रम

325
वज्रयान का यह अत्यंत प्रसिद्ध श्रीचण्ड महारोशण तंत्र  ग्रन्थ है. यह ग्रन्थ प्रथमवार समग्र रूप में प्रकाशित हुआ है. इससे